आज़ मुझे बुखार है
दीपावली के दिन है। भाग दौड़ तो रहती ही है, घर से कॉलेज कॉलेज से घर, और घर पर भी दो-चार इधर-उधर के काम।
मौसम एक चुनाव का भी है, यहां देवली में उपचुनाव की तारीख घोषित हो चुकी है। हम जा रहे हैं कि दीदी सुनीता बैसला जी को टिकट मिले, चुनाव लड़े और इस सीट को निकाले।
लेकिन यहां लोकल स्तर पर इतनी सारी गुटबाजी और दुरभीसन्धियां है कि, कब किसको टिकट मिल जाए, यह कहा नहीं जा सकता।
दीदी अपना पूरा प्रयास कर रही है, संगठन में उनकी पकड़ उनकी छवि की वजह से है, दोनों ही प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी उनका सम्मान करती है। व्यक्ति स्वच्छ हो, साधारण तौर पर जमीन से जुड़ा हुआ हो, और वह जहां भी कम करें वहां उसकी नेक नियति और अनुशासन झलके तो छवि अपने आप ही स्वच्छ और निर्मल होती चली जाती है। और इस स्वच्छता का प्रभाव दूर तक पड़ता है, ऐसा मैंने दीदी के व्यक्तित्व में देखा है।
यहां ग्राउंड पर भी जितने लोगों से मिलते हैं, वह सारे लोग दीदी की तारीफ करते हुए नहीं थकते है। दीदी बैसला का उठना बैठना चलना, बातों को ध्यान से सुनना और रेस्पॉन्ड करना वातावरण में अलग ही तरह की गंभीरता और सहजता पैदा कर देता है। समय के अपने मानक और योजनाएं होती है, देखते हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है, दीदी को टिकट मिलता है या समय उनके लिए भविष्य की योजनाएं बना रहा है।
मेरी इच्छा और प्रार्थना तो यही है कि उन्हें अपने व्यक्तित्व और व्यक्तित्व के अनुरूप स्थान और काम मिले। बाबा कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला जी अपनी बेटी को बहुत संभावनाओं की दृष्टि से देखते थे, उनकी बेटी असल में सोसायटी के लिए एक एसेट है। एसेट केपीटलाइज्ड देर से होती है, जरूरत के समय होती है, देखना यह है कि वह जरूरत और वो समय में कब आता है।
स्टॉक मार्केट आजकल फिर से नीचे की तरफ जा रहा है, चार-पांच दिन पहले एक प्रॉफिट बुक करने के बाद मैंने अपने पोर्टफोलियो में कुछ पैसा बढ़ाया है, और जैसे ही पैसा बढ़ाया वैसे ही मार्केट नीचे की तरफ आने लगा।
स्विंग ट्रेडिंग की खूबसूरती यह है कि यहां पर आपको छोटे-छोटे टुकड़ों में पैसा प्रॉफिट के रूप में मिलता रहता है, ऊपर की तरफ ट्रेडिंग मार्केट में प्रॉफिट जल्दी बुक होते हैं, मार्केट जब नीचे की तरफ आ रहा हो, तो ऐसी स्थिति में प्रॉफिट बनने में समय लगता है।
यह सारा खेल, यह सारा सिस्टम साइकोलॉजी तौर पर खुद को समझने का है, सेल्फ कन्विंस्ड परसन यहां पर अच्छा और निरंतर मुनाफा बनाते हैं। मुझे लगता है कि किसी भी बिजनेस को मुनाफे के तौर पर बदलाव में एक दशक लगता है कम से कम।
स्विंग ट्रेडिंग को भी मैं एक दशक के रूप में लेकर चल रहा हूं, सच में मुझे कोई डर नहीं है। मार्केट की हिलने से साइकोलॉजी ऊपर नीचे जरूर हिलती रहती है। लेकिन यह सब पार्ट आफ लाइफ पार्ट ऑफ गेम पार्ट ऑफ़ मार्केट है।
आज मुझे हल्का सा बुखार है, घर पर कुछ छोटे-मोटे काम करने हैं, घर आपको एक अनुशासन देता है, घर आपको एक विशेष तरह की आश्वस्ति देता है।
पिछले 7, 8 साल से मेरा घर पर टिकना लगभग असंभव हो गया है, घूमने घूमने के चक्कर में , काम के चक्कर में, मैं घर से बाहर ही रहता हूं। बदकिस्मती से अब यह मेरी आदत बन चुकी है। इसी वजह से मेरे भीतर अनुशासनहीनता है, टिकाऊपन नहीं है।
अब यह टिकाऊपन और अनुशासन एक दिन में तो नहीं आएगा, लेकिन मुझे अगले 2,4 साल प्रयास करना पड़ेगा, कि मैं जब भी घर रहूं तब अधिकतम समय घर के भीतर ही बिताऊं।
घर से बाहर रहता हूं तो कितनी सारी चाय हो जाती है, स्वास्थ्य खराब होने लगा है, मानसिकता डावाडोल हो गई है।
इन सब का एक ही इलाज है कि मैं अपना समय घर पर बिताऊ।
आपको कहीं बार लगता है कि घर वाले, मुझे पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं। लेकिन यह बात सिर्फ आपको लगती है इसमें सच्चाई नहीं है, असल में आप घर वालों की जरूरत को, उनकी इमोशंस को दूसरी तरीके से देख रहे हैं।
घर से बाहर की पब्लिक साइकोलॉजी अलग होती है, घर के बाहर हमारे व्यवहार में अलग तरह का जमाव होता है।
घर के भीतर तो हम मेडिटेटिव प्रक्रिया में रहते हैं।
आज कुछ आराम करेंगे, कुछ काम करेंगे। और कुछ देर कुछ नहीं करेंगे।
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